केंद्रीय बजट 2025-26: जनता के जीवन पर क्या पड़ेगा असर?
(एक विस्तृत विश्लेषण)
परिचय:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 ने देश की आर्थिक दिशा को नई गति देने का प्रयास किया है। इस बजट में “सबका साथ, सबका विकास” के विजन को ध्यान में रखते हुए कई ऐसे फैसले शामिल किए गए हैं, जो सीधे तौर पर आम नागरिकों की जेब और जीवनशैली को प्रभावित करेंगे। चलिए, इस बजट के प्रमुख पहलुओं को समझते हैं और जानते हैं कि क्या सस्ता हुआ, क्या महंगा हुआ, और किन वर्गों को मिली विशेष राहत।
भाग 1: बजट 2025-26 में क्या-क्या हुआ सस्ता?
सरकार ने इस बार जनता के रोजमर्रा के खर्चों को कम करने और विशेष क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं पर करों में कटौती की है:
- सोना और चांदी:
- क्यों? महिलाओं की खरीदारी को सुगम बनाने और ज्वैलरी उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए।
- क्या बदला? कस्टम ड्यूटी को घटाकर 6% कर दिया गया।
- प्रभाव: सोने-चांदी के गहनों और बुलियन की कीमतों में कमी आएगी।
- मोबाइल फोन और चार्जर:
- क्यों? डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने और मोबाइल की पहुंच बढ़ाने के लिए।
- क्या बदला? बेसिक कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 10% की गई।
- प्रभाव: स्मार्टफोन खरीदारी अब और सस्ती होगी, खासकर मिड-रेंज डिवाइस।
- चमड़े के जूते:
- क्यों? घरेलू चमड़ा उद्योग को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए।
- प्रभाव: ब्रांडेड और स्थानीय दोनों तरह के जूतों की कीमतों में गिरावट।
- कपड़े:
- क्यों? “मेक इन इंडिया” को बल देने और टेक्सटाइल सेक्टर को राहत।
- प्रभाव: सूती, सिल्क, और सिंथेटिक कपड़ों पर खर्च कम होगा।
- कैंसर की दवाएँ:
- क्यों? स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और सुलभ बनाने के लिए।
- क्या बदला? तीन प्रमुख दवाओं (जैसे कीमोथेरेपी ड्रग्स) को मूल सीमा शुल्क से छूट।
- प्रभाव: कैंसर मरीजों का इलाज खर्च घटेगा।
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV):
- क्यों? प्रदूषण कम करने और ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए।
- प्रभाव: EV कारों और स्कूटरों की कीमतों में गिरावट, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस।
- बिजली के तार और सोलर सेट्स:
- क्यों? नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा और बिजली की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए।
- प्रभाव: सोलर पैनल लगाना सस्ता होगा, घरेलू बिजली बिल कम होंगे।
- एक्स-रे मशीन:
- क्यों? ग्रामीण अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं सुधारने के लिए।
- प्रभाव: डायग्नोस्टिक सेवाओं की लागत घटेगी।
भाग 2: बजट 2025-26 में क्या-क्या हुआ महंगा?
सरकार ने कुछ वस्तुओं पर “सिन टैक्स” (हानिकारक उत्पादों पर कर) और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से ड्यूटी बढ़ाई है:
- सिगरेट और तंबाकू उत्पाद:
- क्यों? लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय कम करने के लिए।
- प्रभाव: सिगरेट का एक पैकेट अब 10-15 रुपये अधिक महंगा होगा।
- हवाई यात्रा:
- क्यों? एविएशन सेक्टर पर COVID के बाद के आर्थिक दबाव को कम करने के लिए।
- क्या बदला? एयर टिकट पर टैक्स बढ़ाया गया।
- प्रभाव: घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स के टिकट महंगे होंगे।
- प्लास्टिक के उत्पाद:
- क्यों? सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए।
- प्रभाव: प्लास्टिक की बोतलें, थैलियाँ, और बर्तनों की कीमतें बढ़ेंगी।
- सोलर ग्लास:
- क्यों? घरेलू सोलर मॉड्यूल निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए आयात पर निर्भरता घटाना।
- प्रभाव: सोलर पैनल लगाने की लागत थोड़ी बढ़ सकती है।
- टेलिकॉम उपकरण:
- क्यों? 5G इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा।
- प्रभाव: नेटवर्किंग डिवाइस और फाइबर ऑप्टिक केबल्स महंगे होंगे।
भाग 3: मध्यम वर्ग और किसानों को मिली राहत
आयकर स्लैब में बदलाव:
- नया टैक्स स्ट्रक्चर:
- 0% टैक्स: 1.2 लाख रुपये तक की वार्षिक आय (पहले 0.5 लाख था)।
- 30% टैक्स: 2.4 लाख रुपये और अधिक आय पर (पहले 1.5 लाख था)।
- प्रभाव: मध्यम वर्ग के करदाताओं की बचत बढ़ेगी, जिससे उपभोग और निवेश को बल मिलेगा।
किसानों के लिए योजनाएँ:
- PM-KISAN योजना:
- क्या बदला? वार्षिक सहायता राशि 6,000 से बढ़ाकर 8,000 रुपये की गई।
- प्रभाव: 12 करोड़ छोटे किसानों को सीधा लाभ।
- फसल विविधीकरण मिशन:
- लक्ष्य: दालों और कपास के उत्पादन को बढ़ावा देना।
- प्रावधान: बीज सब्सिडी, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, और बाजार संपर्क सुविधाएँ।
भाग 4: बजट का बड़ा संदेश – नीति निर्माताओं की प्राथमिकताएँ
- स्वास्थ्य और शिक्षा:
- कैंसर दवाओं और एक्स-रे मशीनों पर छूट से पता चलता है कि सरकार सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस कर रही है।
- हरित अर्थव्यवस्था:
- इलेक्ट्रिक वाहनों और सोलर एनर्जी पर जोर जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति को दर्शाता है।
- मेक इन इंडिया:
- टेलिकॉम और टेक्सटाइल सेक्टर में ड्यूटी समायोजन से स्थानीय उद्योगों को ग्लोबल कॉम्पिटिशन में मदद मिलेगी।
- लैंगिक समावेशन:
- सोना-चांदी पर ड्यूटी कटौती महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।
निष्कर्ष: क्या यह बजट जनता के हित में है?
केंद्रीय बजट 2025-26 ने संतुलन बनाने की कोशिश की है – एक तरफ महंगाई को नियंत्रित करने के लिए वस्तुओं को सस्ता किया गया है, तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कुछ उत्पादों पर कर बढ़ाए गए हैं। मध्यम वर्ग और किसानों को मिली राहत से अर्थव्यवस्था में उपभोग बढ़ने की उम्मीद है। हालाँकि, कुछ सवाल अभी भी हैं: क्या सोलर ग्लास पर टैक्स बढ़ने से नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य प्रभावित होंगे? क्या प्लास्टिक महंगा होने से वास्तव में प्रदूषण कम होगा? इन प्रश्नों के जवाब समय के साथ सामने आएंगे, लेकिन इतना तय है कि यह बजट आम जनता की प्राथमिकताओं को केंद्र में रखकर बनाया गया है।
अंतिम शब्द:
“यह बजट न तो पूरी तरह उदार है, न ही पूरी तरह कंजरवेटिव। यह एक व्यावहारिक रोडमैप है, जो विकास और जनकल्याण के बीच समन्वय बनाता है।”